शनिवार, 28 मई 2016

भारत की आर्थिक समीक्षा 2015-16/ ECONOMIC SURVEY OF INDIA 2015-16 IN HINDI



आर्थिक समीक्षा 2015-16 जो वित्त मंत्रालय, भारत सरकार का फ्लैगशिप वार्षिक दस्तावेज है, विगत 12 महीनें में भारतीय अर्थव्यवस्था में घटनाक्रमों की समीक्षा करता है, प्रमुख विकास कार्यक्रमों के निष्पादन का सार प्रस्तुत करता है और सरकार की नीतिगत पहलों तथा अल्पावधि से मध्यावधि में अर्थव्यवस्था की संभावनाओं पर विधिवत प्रकाश डालता है। इस दस्तावेज को बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है।


यह रिपोर्ट एवं क्षेत्रक अर्थव्योवस्था के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए विस्तृत आंकड़ों के साथ निम्नाकित मामलों का सिंहावलोकन करती है:

  • आर्थिक दृष्‍टिकोण, संभावनाएं और नीतिगत चुनौतियां
  • राजकोषीय रूपरेखा
  • हर आंख से आंसू पोंछना: जैम नम्‍बर त्रिसूत्री समाधान
  • निवेश वातावरण: अवरूद्ध परियोजनाएं, बकाया ऋण और इक्‍विटी समस्‍याएं
  • ऋण, संरचना तथा दोहरा वित्‍तीय नियंत्रण: बैंकिंग सेक्‍टर का एक निदान
  • सार्वजनिक निवेश को दुरूस्‍त करना: रेल के माध्‍यम से
  • भारत में क्‍या निर्माण करें? विनिर्मित उत्‍पाद या सेवाएं?
  • कार्बन सब्‍सिडी से कार्बन कर की ओर: भारत का पर्यावरण संबंधी कार्य
  • चौदहवां वित्‍त आयोग-भारत में राजकोषीय संघवाद के लिए निहितार्थ
  • भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की स्‍थिति- सिहांवलोकन
  • लोक वित्‍त
  • मौद्रिक प्रबंधन और वित्‍तीय मध्‍यस्‍थता
  • वैदेशिक एवं सेवा क्षेत्र
  • मूल्‍य, कृषि और खाद्य प्रबंधन
  • औद्योगिक, कारपोरेट और अवसंरचना निष्‍पादन
  • जलवायु परिवर्तन और सतत् विकास
  • सामाजिक अवसंरचना, रोजगार और मानव विकास

यह दस्तावेज नीति निर्धारकों, अर्थशास्त्रियों, नीति विश्लेाषकों, व्यवसायियों, सरकारी एजेंसियों, छात्रो, अनुसंधानकर्ताओं, मीडिया तथा भारतीय अर्थव्यृवस्था के विकास में रुचि रखने वालों के लिए उपयोगी होगा।

आर्थिक समीक्षा 2015-16: मुख्य बिंदु

•    भारतीय अर्थव्यवस्था वृह्द आर्थिक स्थिरता, गतिशीलता एवं आशा के केन्द्र के रूप में उभरी है और आगामी वर्ष (2016-17) में जीडीपी विकास दर 7.0 प्रतिशत से 7.75 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद.
•    वैश्विक अनिश्चित्ताओं और कमजोर मॉनसून के बावजूद भारत ने वर्ष 2014-15 में 7.2 प्रतिशत और 2015-16 में 7.6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की. इस प्रकार भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया.
•    वैश्विक मंदी के बावजूद, सामान्य मॉनसून के कारण वर्ष 2016-17 में भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार तीसरे वर्ष सात प्रतिशत से अधिक वृद्धि जारी रहेने की उम्मीद.
•    सुधार प्रक्रिया को लगातार जारी रखने की सरकार की प्रतिबद्धता के कारण अगले दो वर्षों के दौरान अर्थव्यवस्था की बढ़ोत्तरी की गति आठ प्रतिशत या अधिक हासिल करने की स्थितियां मौजूद.
•    वर्ष 2015-16 में कृषि क्षेत्र में वृद्धि पिछले दशक के औसत की तुलना में लगातार कम रही है. ऐसा लगातार दूसरे वर्ष भी सामान्य से कम बारिश होने के कारण हुआ.
•    वर्ष 2015-16 के लिए कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार खाद्यान्नों और तिलहनों का उत्पादन क्रमशः 0.5 प्रतिशत और 4.1 प्रतिशत घटने का अनुमान.
•    पशुधन उत्पादों, वानिकी और मत्स्य पालन जैसे संबद्ध क्षेत्रों में 2015-16 के दौरान पांच प्रतिशत से अधिक वृद्धि होने से अच्छी तस्वीर उभरने का अनुमान, जिससे ग्रामीण लोगों की आय में कुछ बढ़ोतरी होगी.
•    विनिर्माण गतिविधियों में सुधार होने से चालू वर्ष के दौरान उद्योग में विकास की गति तेज होने का अनुमान.
•    निजी कॉरपोरेट क्षेत्र की विनिर्माण क्षेत्र में लगभग 69 प्रतिशत हिस्सेदारी, जिससे अप्रैल-दिसंबर, 2015-16 में वर्तमान मूल्यों पर 9.9 प्रतिशत बढ़ोत्तरी होने का अनुमान.
•    औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के अनुसार, अप्रैल-दिसंबर 2015-16 के दौरान विनिर्माण उत्पादन में 3.1 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान यह बढ़ोत्तरी 1.8 प्रतिशत रही थी.
•    मौजूदा विनिर्माण रिकवरी में पेट्रोलियम रिफाइनिंग, ऑटोमोबाइल्स, परिधान, रसायन, विद्युत मशीनरी और फर्नीचर सहित लकड़ी उत्पादों में वृद्धि होने से मदद मिली.
•    विनिर्माण के अलावा उद्योग क्षेत्र के तीन खंड बिजली, गैस, जलापूर्ति और संबंधित सेवाओं, खनन और खदान तथा निर्माण गतिविधियों में मंद गति.
•    इस समीक्षा में सेवा क्षेत्र में साधारण बढ़ोत्तरी रेखांकित की गई है, लेकिन यह अभी भी बहुत मजबूत है.
•    अर्थव्यवस्था का मुख्य वाहक होने के कारण कुल विकास में सेवा क्षेत्र का 2011-12 से 2015-16 के दौरान लगभग 69 प्रतिशत का योगदान रहा और अर्थव्यवस्था में इसकी हिस्सेदारी 4 प्रतिशत बढ़कर 49 से 53 प्रतिशत होने की प्रक्रिया में है.
•    उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में स्पष्ट रूप से मंदी आई है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था वृह्द आर्थिक स्थिरता, गतिशीलता एवं आशा के एक केन्द्र के रूप में उभरी है और आगामी वर्ष में इसकी जीडीपी विकास दर 7.0 प्रतिशत से 7.75 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद.

•    जीडीपी विकास दर 7.0 प्रतिशत से 7.75 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद.
•    वर्ष 2015-16 के लिए 3.9 प्रतिशत का राजकोषीय घाटा लक्ष्यह अर्जि‍त किया जाना संभव.
•    वर्ष 2015-16 में सकल मूल्येवर्धन की वृद्धि में सेवा क्षेत्र का योगदान लगभग 66.1 प्रतिशत.
•    अप्रैल-जनवरी, 2015-16 में व्यापार घाटा घटकर 106.8 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया, जो 2014-15 की इसी अवधि के दौरान 119.6 बिलियन अमरीकी डॉलर था.
•    वर्ष 2014 के दौरान भारत में एफडीआई 34 अरब अमेरिकी डॉलर दर्ज किया गया, जो वर्ष 2013 के मुकाबले 22 प्रतिशत ज्याअदा है। वर्ष 2014-15 और वर्ष 2015-16 (अप्रैल-अक्टूकबर) के दौरान आमतौर पर और मुख्यैत: सेवा क्षेत्र में एफडीआई के प्रवाह में वृद्धि दर्ज की गई.
•    भारत का पर्यटन विकास वर्ष 2015 में विदेशी पर्यटक आगमन (एफटीए) के लिहाज से घटकर 4.5 प्रतिशत और विदेशी मुद्रा आमदनी (एफईई) के लिहाज से घटकर 2.8 प्रतिशत रह गई, जो वर्ष 2014 में एफटीए के लिहाज से 10.2 प्रतिशत और एफईई के लिहाज से 9.7 प्रतिशत थी.
•    किसानों के लिए स्थासई आजीविका और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कृषि क्षेत्र में व्या्पक बदलाव की जरूरत.
•    मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग ने पिछले दो दशकों में अप्रत्यातशित वृद्धि दर दर्शाई है और इसके साथ ही भारत के सर्वाधिक तेजी से विकसित होने वाले उद्योगों में यह भी शामिल हो गया है. वर्ष 2019 तक 13.9 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ इस उद्योग का कारोबार 1964 अरब रुपये के स्त र पर पहुंच जाने की उम्मीद.
•    वित्ती य समावेश की दिशा में डाक घर बचत बैंक (पीओएसबी) खातों की संख्यास 30.86 करोड़ से बढ़कर 33.97 करोड़ के स्तरर पर पहुंच गई है. 80 लाख से भी ज्याएदा ‘सुकन्‍या समृद्धि योजना’ खाते खोले गए.
•    आं‍तरिक व्यानपार ने 10.7 प्रतिशत की हिस्सेादारी के साथ 12,31,073 करोड़ रुपये के व्याआपार एवं मरम्म्त सेवा क्षेत्र ने वर्ष 2014-15 में 10.8 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्शायी.
•    भारत के रिटेल बाजार के वर्ष 2020 तक बढ़कर 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच जाने की उम्मीद.


आर्थिक समीक्षा 2015-16 DOWNLOAD [19 MB]



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